श्रीमति हेमलता मिश्र “मानवी “
(सुप्रसिद्ध, ओजस्वी,वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती हेमलता मिश्रा “मानवी” जी विगत ३७ वर्षों से साहित्य सेवायेँ प्रदान कर रहीं हैं एवं मंच संचालन, काव्य/नाट्य लेखन तथा आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कविता कहानी संग्रह निबंध संग्रह नाटक संग्रह प्रकाशित, तीन पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद, दो पुस्तकों और एक ग्रंथ का संशोधन कार्य चल रहा है। आज प्रस्तुत है श्रीमती हेमलता मिश्रा जी की जापानी काव्य विधा तांका में एक अतिसुन्दर रचना चंद चंद्र तांका। उनके ही शब्दों में – “जापानी काव्य विधा तांका बहुत उत्तम होती है। इसमें पांच-सात पांच सात सात शब्दों में अपनी मुकम्मल बात की जाती है। हर पंक्ति का अपना अर्थ होता है।”)
☆ चंद चंद्र तांका ☆
प्रकृति वधू
चंद्रिम मेखला धारे
पुलक उठी
मयंक ना निरखें
हुलसे घूंघट में
उनींदा चांद
मनुहाया शर्माया
चांदनी छेडे़
आसमान चितेरा
चंद्र उर्मि उकेरे
मुंडेर पर
महके रात रानी
हंसी ठिठोली
सोन चिरैया उड़ी
ले चोंच भर खुशी।।
© हेमलता मिश्र “मानवी ”
नागपुर, महाराष्ट्र