हिन्दी साहित्य – कविता / ग़ज़ल ☆ वजूद ☆ – डाॅ मंजु जारोलिया
डाॅ मंजु जारोलिया
(संस्कारधानी जबलपुर से सुप्रसिद्ध लेखिका डाॅ मंजु जारोलिया जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आप साहित्य साधना में लीन हैं एवं आपकी रचनाएँ विभिन्न स्तरीय पात्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। आशा है हम भविष्य में आपकी रचनाओं को हमारे पाठकों से साझा करते रहेंगे।)
☆ वजूद ☆
अपने हयात से रूसवा कर दो,
अपने ख्वाबों से तुम रिहा कर दो
तेरी बातों में मेरा ज़िक्र नहीं
अपनी बातों से तुम ख़फा कर दो
तूने सौदा मेरा किया था कभी
मेरे नुकसान का नफ़ा कर दो
मुझको तुने जो बेवफ़ा था कहा
अपने जुमले में तुम वफ़ा कर दो
तेरी फ़ितरत ही कुछ ऐसी है
मेरे रकीबों पे जफ़ा कर दो
गज़ल में तेरी मिरा वजूद नहीं
अपने ख्यालों से तुम दफ़ा कर दो
© डाॅ मंजु जारोलिया
बी-24, कचनार सिटी, जबलपुर, मध्यप्रदेश