प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस – “दोहे – योग भगाये रोग…” ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
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योग भगाता रोग है, रोज़ करे इंसान।
यह कारज सबसे भला, है सबसे आसान।। (1)
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योग करे काया प्रबल, ख़ूब बने वरदान।
यह तो है वो चेतना, जो मारे अवसान।। (2)
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योग दिव्य नित, तेज है, जिसमें है पैग़ाम।
योग युगों से चल रहा, है खुशियों का धाम।। (3)
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बढ़ती जातीं व्याधियाँ, नित बढ़ती है पीर।
पर अपनाते योग जो, वे बन जाते वीर।। (4)
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सुबह करो सब योग को, तभी बनेगी बात।
काया ताक़त से भरे, मन पाये सौगात।। (5)
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योग एक औषधि बड़ी, जीवन देय सँवार।
जो बंदे इसको करें, पायें वे उजियार।। (6)
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योग हमारी खोज है, भारत सदा महान।
दुनिया ने माना इसे, यह भारत का मान।।(7)
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योग आज की माँग है, बढ़ते हैं नित रोग।
जहाँ योग है, नित वहाँ, खुशियों का संयोग।। (8)
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मधुर गीत बन योग तो, गूँजे देश-विदेश।
मारे नित्य तनाव को, मारे सब ही क्लेश।। (9)
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मान योग को साधना, साधें सारे लोग।
हर्ष मिले, मन-ताज़गी, संभव हर सुख भोग।। (10)
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
(मो.9425484382)
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