सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे

कविता ☆ अलविदा दीपावली – अज्ञात ☆ प्रस्तुती – सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे, संपादिका ई-अभिव्यक्ति (मराठी)

ज़रा अदब से उठाना इन बुझे दियों को

बीती रात इन्होंने सबको  रोशनी दी थी

*

किसी को जला कर खुश होना अलग बात है

इन्होंने खुद को जला कर रोशनी की थी

*

कितनों ने खरीदा सोना

मैने एक ‘सुई’ खरीद ली

*

सपनों को बुन सकूं

उतनी ‘डोरी’ खरीद ली

*

सबने बदले नोट

मैंने अपनी ख्वाहिशे बदल ली

*

शौक- ए- जिन्दगी‘ कम करके

सुकून-ए-जिन्दगी‘ खरीद ली…

*

माँ लक्ष्मी से एक ही प्रार्थना है..

धन बरसे या न बरसे..

पर कोई गरीब..

दो रोटी के लिए न तरसे..

 *

🙏🏻अलविदा दीपावली 2024🙏🏻

 

 संकलन – सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे

९८२२८४६७६२

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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