अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष
डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी जीवन से जुड़ी घटनाओं और स्मृतियों को इतनी सहजता से लिख देते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम उनका साहित्य पढ़ रहे हैं। अपितु यह लगता है कि सब कुछ चलचित्र की भांति देख सुन रहे हैं। आज प्रस्तुत है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के विशेष अवसर पर कविता “महिला दिवस पर दस दोहे”। )
☆ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष – महिला दिवस पर दस दोहे ☆
भिन्सारे उठ कर करे, घर के सारे काम।
व्यस्त रहे पूरे दिवस, देर रात विश्राम।।
शैशव को मृदु स्नेह दे, दे किशोर को ज्ञान।
अनुशाषित युव पुत्र को, मातृ शक्ति वरदान।।
पत्नी, पुत्री, माँ, बहन, भिन्न – भिन्न हैं रूप।
करे पूर्ण दायित्व सब, सुख दायिनी स्वरूप।
मर्यादा दहलीज की, दो-दो घर की शान।
है अनन्त महिमामयी, धैर्य धर्म की खान।।
सहनशील धरती सदृश,मन में सेवा भाव।
संघर्षों से जूझती, धूप मिले या छाँव।।
मात-पिता की लाड़ली, बच्चों का है प्यार
सम्बल है पति का बनी, सुखी करे संसार।
होता है श्री हीन नर, बिन नारी के संग।
लक्ष्मी बन घर में भरे, मंदिर जैसे रंग।।
इम्तिहान हर डगर पर, मातृशक्ति के नाम
विनत भाव सेवा करे, हो कर के निष्काम।
संकोची घर में रहे, बाहर है तलवार।
जब जैसी बहती हवा, वैसी उसकी धार।।
समझें नारी को नहीं, कोई भी कमजोर
नारी के ही हाथ में, पूरे जग की डोर।
© डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर, मध्यप्रदेश
मो. 989326601