डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव 

(आज  प्रस्तुत है  डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव जी  की एक भावप्रवण रचना आईने में सूरत तेरी नजर आती है 

☆ आईने में सूरत तेरी नजर आती है ☆

 

सोच रही हूँ खुद को देख कर

जब भी देखती हूँ आईना सूरत तेरी नजर आती है

लगता है आईने की नजर सीधे दिल की तरफ जाती है

 

तुझे देखा नहीं बरसो से पर जहां भी देखूं

तेरी तस्वीर नजर आती है लगता है

आईने की नजर सीधे दिल की तरफ जाती है

 

तू है तो नहीं है वीरान, नहीं है पतझड़

हर तरफ बहार ही बहार नजर आती है

लगता है आईने की नजर सीधे दिल की तरफ जाती है

 

जब भी छिड़ता है जिक्र तेरा

होठों ही होठों में एक मुस्कान उतर आती है

लगता है आईने की नजर सीधे दिल की तरफ जाती है

 

जब भी देखती हूं आईना सूरत तेरी नजर आती है

लगता  है आईने की नजर सीधे दिल की तरफ जाती है

 

© डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव

मो 9479774486

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Shyam Khaparde

सुंदर भावपूर्ण रचना बधाई

डॉ भावना शुक्ल

बेहतरीन अभिव्यक्ति