डॉ मौसमी परिहार

(संस्कारधानी जबलपुर में  जन्मी  डॉ मौसमी जी ने “डॉ हरिवंशराय बच्चन की काव्य भाषा का अध्ययन” विषय पर  पी एच डी अर्जित। आपकी रचनाओं का प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन तथा आकाशवाणी और दूरदर्शन से नियमित प्रसारण। आकाशवाणी के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘युगवाणी’ तथा दूरदर्शन के ‘कृषि दर्शन’ का संचालन। रंगकर्म में विशेष रुचि के चलते सुप्रसिद्ध एवं वरिष्ठ पटकथा लेखक और निर्देशक अशोक मिश्रा के निर्देशन में मंचित नाटक में महत्वपूर्ण भूमिका अभिनीत। कई सम्मानों से सम्मानित, जिनमें प्रमुख हैं वुमन आवाज सम्मानअटल सागर सम्मानमहादेवी सम्मान हैं।  हम भविष्य में आपकी चुनिंदा रचनाओं को ई- अभिव्यक्ति में साझा करने की अपेक्षा करते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक अतिसुन्दर विचारणीय कविता  ‘आधिपत्य’ )   

 ☆ कविता  – आधिपत्य ☆

 

जेठ की तपती

धूप के साथ

दस्तक देती  बारिश में

 

कीट पतंगों की

बल्ले बल्ले हो जाती है

घर के बाहर राज

करते करते,,

घर के अंदर भी

अपना आधिपत्य जमा लेते है

 

और बिना वजह

जहरीली दवा या चप्पल से

कुचले जाते है

 

महिलाएं यूं तो

बड़े से बडा दुःख

सहन कर जाती है

फिर क्यों अचानक

कॉकरोच का छिपकली

के दिख जाने से ही

उंसकी चीख  निकल जाती है

 

© डॉ मौसमी परिहार

संप्रति – रवीन्द्रनाथ टैगोर  महाविद्यालय, भोपाल मध्य प्रदेश  में सहायक प्राध्यापक।

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