डॉ प्रतिभा मुदलियार
(डॉ प्रतिभा मुदलियार जी का अध्यापन के क्षेत्र में 25 वर्षों का अनुभव है । वर्तमान में प्रो एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, मैसूर विश्वविद्यालय। पूर्व में हांकुक युनिर्वसिटी ऑफ फोरन स्टडिज, साउथ कोरिया में वर्ष 2005 से 2008 तक अतिथि हिंदी प्रोफेसर के रूप में कार्यरत। कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत। इसके पूर्व कि मुझसे कुछ छूट जाए आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया डॉ प्रतिभा मुदलियार जी की साहित्यिक यात्रा की जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें –
जीवन परिचय – डॉ प्रतिभा मुदलियार
आज प्रस्तुत है डॉ प्रतिभा जी की एक समसामयिक कविता आई कांट ब्रीथ। यह कविता इस बात का प्रतीक है कि मानवीय संवेदनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आहत हुई हैं । जॉर्ज फ्लॉयड एक प्रतीक हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रंगभेद, धार्मिक भेदभाव, जातिवाद, नस्लवाद, कट्टरता के विरुद्ध स्वर प्रखर होना स्वाभाविक है और मानवता के हित में साहित्यकार इससे अछूते नहीं हैं। )
☆ आई कांट ब्रीथ ☆
नहीं ली जाती है सांस
जब उठ खडे होते हैं
प्रश्न
वर्ण, रंग और व्यक्ति की
पहचान पर।
नहीं ली जाती है सांस
जब रौंध दी जाती
व्यवस्था के हांथों
प्रतिरोध में उठी आवाज़।
नहीं ली जाती है सांस
जब तोड दिए जाते हैं
पैरों तले
हक के लिए उठे हाथ।
नहीं ली जाती है सांस
जब गर्दन पर
कस दिया
जाता है सत्ता का घुटना।
नहीं ली जाती है सांस
जब व्यवस्था के बाशिंदे
महज़ कुछ सिक्कों की खातिर
घोटने लगते हैं गला
और तत्पर हो जाते है
अनायास दोहराने
क्रूर और बर्बर
इतिहास।
ज़ॉर्ज फ्लायड
तुम्हारी
घुटी सांस के
साथ घुट रही हैं
सांसें सबकी
रच रहा है
वर्तमान
शब्द शिल्प
तुम्हारे जरिए
रचता रहेगा
श्वास लेख
अंटिल वी ब्रीथ
© डॉ प्रतिभा मुदलियार
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी अध्ययन विभाग, मैसूर विश्वविद्यालय, मानसगंगोत्री, मैसूर 570006
दूरभाषः कार्यालय 0821-419619 निवास- 0821- 2415498, मोबाईल- 09844119370, ईमेल: [email protected]
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, बधाई