सुश्री रुचिता तुषार नीमा
(युवा साहित्यकार सुश्री रुचिता तुषार नीमा जी द्वारा आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण रचना ए जिंदगी ज़रा तुझे समझ ले…।)
☆ कविता – ए जिंदगी ज़रा तुझे समझ ले… ☆ सुश्री रुचिता तुषार नीमा ☆
जरा देख लूं तुझको एक पल ठहरकर
फिर ये मौका मिले न मिले,,,
बहती जा रही तू वक्त में सिमटकर
ए जिंदगी जरा तुझे समझ तो ले…..
कहाँ तक आ चुके हम कहां से चलकर
फिर भी मुकाम का पता न चले,,,
हर दिन नई ख्वाइशों नए अरमान संजोकर
इस दिल को सुकून कभी न मिले….
जो मिला है उसमें मन को तू खुशकर
अपने चाहतों को तृप्त कर ले,,,,
ये चाहतों की दौड़ है अंतिम छोर तक
इसको समझकर अब तू छोड़ दे….
ज़रा ठहरकर यहीं, इसी क्षण को थामकर
ज़रा खुद में थोड़ा सा फिर झांक ले,,,,
कि खत्म होने से पहले तेरा ये सफर
ए जिंदगी ज़रा तुझे समझ तो ले…..
© सुश्री रुचिता तुषार नीमा
इंदौर, मध्य प्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
बहुत सुंदर कविता
जी बहुत धन्यवाद