श्री जयेश वर्मा

(श्री जयेश कुमार वर्मा जी  बैंक ऑफ़ बरोडा (देना बैंक) से वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। हम अपने पाठकों से आपकी सर्वोत्कृष्ट रचनाएँ समय समय पर साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक  अतिसुन्दर भावप्रवण कविता एक मत…।)

☆ कविता  ☆ एक मत … ☆

आप भी यहीं में भी यहीं,

बहुत कुछ घट रहा, यहाँ,

घरोँ से देखते हम, सभी,

दृश्य सूंदर लगे सबको,

कुछ खटकते मन में कभी,

 

इस चेहरों की किताब में,

कई पन्ने चेहरे,

चिपके कुछ अभी,

कुछ, नमस्ते कर मिले,

अब पीठ किये सभी,

 

तेरी सोच, मेरी सोच,

सोच का अंतर, ही सही,

तेरी बात, मेरी बात,,

बातों में बहस ही सही,

 

सोच का अंतर,

बहस का मुद्दा,

सही हो, ना सही,

इतना तो कीजे जनाब,

कहें अपनी,

मेरी सही हो ना सही,

 

विचारधाराओं के झंडों से परे,

एक, जहां औऱ भी है,

इंसानियत का,

जहां रहते सभी हैं, एकमत..

मानते यही ..हैं..

 

रँगे रहो मन, रंगरेज़ ले जेहैं,

अब्बई कह लेव, सुन लेव, सब,

कोनों को भरोसों नईये…

 

©  जयेश वर्मा

संपर्क :  94 इंद्रपुरी कॉलोनी, ग्वारीघाट रोड, जबलपुर (मध्यप्रदेश)
वर्तमान में – खराड़ी,  पुणे (महाराष्ट्र)
मो 7746001236

ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Bishan Mehrish

Beautiful composition, thoughts well expressed,wish you all the best,verma sahib