सुश्री सरिता त्रिपाठी 

(युवा साहित्यकार सुश्री सरिता त्रिपाठी जी CSIR-CDRI  में एक शोधार्थी के रूप में कार्यरत हैं। विज्ञान में अब तक 23 शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नल में सहलेखक के रूप में प्रकाशित हुए हैं। वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत होने के बावजूद आपकी हिंदी साहित्य में विशेष रूचि है । आज प्रस्तुत है आपकी  भावप्रवण कविता एक तस्वीर। )

☆ एक तस्वीर ☆  

 

क्या था ऐसा तुझमें बन आती एक तस्वीर

क्या था ऐसा मुझमें मिट जाती एक तस्वीर

 

जो भी था जैसा था तस्वीर बड़ी सुहानी थी

जीवन के हर पड़ाव पे जिसने जिंदगानी दी

 

कुछ अमिट छाप मस्तिष्क पर उभर जाते हैं

कुछ को जीवन में अपने कैद कर ले आते हैं

 

बस इस चित्रकला सा दूजा कुछ नहीं भाता है

जीवन के हर पहलू का दृश्य हमें दिखलाता है

 

कभी रील सा चलता था इंतज़ार भी रहता था

आज मोबाइल में झटपट प्रतिबिंब उतरता है

 

मिलने मिलाने हर पल का फोटो मिल जाता है

दिल से दिल का  तार फिर भी ना जुड़ पाता है

 

कैमरा चेहरे पर सबके अलग मुस्कान ले आया है

विपदा हो या खुशहाली सबमें वर्चस्व दिखाया है

 

वस्तविकता से हटके जीवन सबने बिताया है

दिखावे में आ करके खुद को भी मिटाया है

 

इस्तेमाल करो तकनीकि का उन्नति बतलाता है

जीवन के मूल्यों को दिखावे में ना तिरस्कार करो

 

© सरिता त्रिपाठी

जानकीपुरम,  लखनऊ, उत्तर प्रदेश

 

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments