मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में रचित रचना

श्री अ कीर्तिवर्धन

( आज प्रस्तुत है  श्री अ कीर्तिवर्धन जी की एक समसामयिक कविता कुछ मसीहा लड़ रहे हैं,  कोरोना से रात दिन ।)

 

☆ कुछ मसीहा लड़ रहे हैं, कोरोना से  रात दिन ☆

 

हर तरफ

सन्नाटा पसरा हुआ

भय का माहौल है

चिन्तित

हर आदमी

मौत की आहट से

व्याकुल

तन्हा जीवन हो रहा|

क्या करें

कैसे करें

किससे कहें

मन की पीडा

बाँटे जिससे

ऐसा कोई

दिखता नहीं|

कठिन दौर

मानवता पर आया

दानवता ने

परचम फहराया|

दानवता के दौर मे भी

निज परिवारों को भुलाकर

कुछ मसीहा

लड रहे हैं

कोरोना

मिटाने की खातिर

रात दिन

काम कर रहे है|

 

©  श्री अ कीर्तिवर्धन

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