श्री कुमार जितेन्द्र

 

(युवा साहित्यकार श्री कुमार जितेंद्र जी  कवि, लेखक, विश्लेषक एवं वरिष्ठ अध्यापक (गणित) हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक समसामयिक रचना। )

☆ कर्म से कोरोना ☆

 

हे! मानव,

कैसा कर्म कर लिया तुमने,

कोरोना को जन्म देकर ।

त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,

कोरोना को फैलाकर ।।

 

हे! मानव,

प्रकृति को भूल कर,

तोड़ी तुमने मर्यादा ।

मार पड़ी जब प्रकृति की,

तो हो गया हक्का – बक्का ।।

 

हे! मानव,

तुम हल्के में नहीं लेवे,

कोरोना की महामारी को ।

इटली और चाइना की तबाही,

देख रोके नहीं रुकती ।।

 

हे! मानव,

कैसा कर्म कर लिया तुमने,

कोरोना को जन्म देकर ।

त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,

कोरोना को फैलाकर ।।

 

हे! मानव,

बच्चे, बूढ़े और बेघर का,

तुम्हें रखना है ख्याल ।

सभी रहें अपने घर,

कोरोना का हैं ईलाज ।।

 

हे! मानव,

नहीं होवे जनहानि,

कोरोना महामारी से ।

अफवाहों को न फैलाएं,

अफवाहें हैं बड़ा वायरस ।।

 

हे! मानव,

कैसा कर्म कर लिया तुमने,

कोरोना को जन्म देकर।l

त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,

कोरोना को फैलाकर ।।

 

हे! मानव,

संबंधो में थी दूरिया,

पहले से ही गहरी ।

कोरोना के वायरस से,

गहरी हो गई और दूरिया ।।

 

हे! मानव,

स्वच्छता और एकांतपन है,

कोरोना का बचाव ।

समय नहीं है घबराने का,

सतर्कता का दे सुझाव ।।

 

हे! मानव,

कैसा कर्म कर लिया तुमने,

कोरोना को जन्म देकर ।

त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,

कोरोना को फैलाकर ।।

 

✍?कुमार जितेन्द्र

साईं निवास – मोकलसर, तहसील – सिवाना, जिला – बाड़मेर (राजस्थान)

मोबाइल न. 9784853785

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