डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव
(आज प्रस्तुत है डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव जी की एक विचारणीय कविता कविता का जन्म। )
☆ कविता – कविता का जन्म ☆
कैसे होता है
कविता का जन्म
वो केसे उपजती है
सजती और
सजाती है जीवन को
कैसे होता है
कविता का जन्म
वो कैसे उपजती है
सजती और
सजाती है जीवन को
मन को।
माना कि
प्रेम शक्ति है
जीवन जीने की
उससे भी ज्यादा अहमियत है पसीने की
प्रेम और पसीना
दोनों जरूरी हैं
कविता के लिए
और कविता जरूरी है जीवन के लिए
© डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
कविता सुमित्रानंदन पंत के शब्दों में——–
वियोगी होगा पहला कवि,आह से उपजा होगा गान।
उमड़ कर आंखों में कविता,बही होगी अंजान।
प्रेम और पसीने उपजती है कविता,।
निराला जी के शब्दों में ——–
वह तोड़ती पत्थर इलाहाबाद के पथ पर,
अथवा
सूबेदार पाण्डेय कवि आत्मानंद के शब्दों में——–
अपना वतन छोड़ कर,सारे मिथक तोड़ कर।
अपने श्रम को बेचती ,दुख के लबादे ओढ़ कर।
अथवा
सूबेदार पाण्डेय कवि आत्मानंद जी के शब्दों में——
प्रेम में मरना प्रेम में जीना, प्रेम में ही मिट जाना।
ढाई आखर प्रेम का मतलब, गौरैया से जाना।
उत्तम प्रस्तुति बधाई अभिनंदन आदरणीया
बेहतरीन अभिव्यक्ति