सुश्री सुलक्षणा मिश्रा
☆ कैलेंडर ☆
आज नज़र जो मेरी
दीवार पर लटके कैलेंडर पर गयी।
एक पूरा साल
मेरे हाथों से फिसलता नज़र आया।
एक सैलाब, जो दबा था
दिल के कोने में कहीं
मिला जुला सा भाव रहा।
बहुत कुछ मिल भी गया
बहुत कुछ का अभाव भी रहा।
समय का चक्र तो
चलता ही रहेगाअनवरत।
एक तरफ एक साल की
हो रही विदाई
दूसरी तरफ एक नए साल का
करना है स्वागत।
अधूरे ख्वाबों में ज़गी
फ़िर से एक नयी आस है।
नए साल में बहुत कुछ,
कर गुजरने की प्यास है।
बहुत आपाधापी रही बीते साल में
नए साल में कुछ सुकून की तलाश है।
© सुश्री सुलक्षणा मिश्रा
संपर्क 5/241, विराम खंड, गोमतीनगर, लखनऊ – 226010 ( उप्र)
मो -9984634777
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈