श्री घनश्याम अग्रवाल

(श्री घनश्याम अग्रवाल जी वरिष्ठ हास्य-व्यंग्य कवि हैं. आज प्रस्तुत है उनकी एक समसामयिक कविता  क्रिकेट जुनून पर एक सिक्सर । )

☆ कविता – क्रिकेट जुनून पर एक सिक्सर ☆ श्री घनश्याम अग्रवाल ☆ 

[1] 

नमाजें पढ़ी गई

दुआओं के लिए हाथ उठे,

भजन-कीर्तन-आरती

हवनों के लिए हाथ बढ़े।

इ‌धर ईश्वर हैरान हैं

उधर खुदा परेशान हैं

ये जो हिन्दुस्तान है

वो जो पाकिस्तान है

इन दोनों के लिए

दोनों एक समान है।

 

[2] 

मैच पाकिस्तान से था

इसीलिए कल भारत से

एक भी आत्मा यमलोक नहीं आयीं

बेचारे यमराज उदास होकर

आपना सिर धुन रहे थे,

क्योंकि प्राण लेने के लिए

भेजे गए यमदूतों में से

कुछ टीवी देख रहे थे

कुछ कमेन्ट्री सुन.रहे थे।

 

[3] 

हमें इस बात का ग़म नहीं

कि हमारा उत्पादन,

हमारी माँग की तुलना में

बहुत कम है,

गम है तो बस

इतना गम है,

कि हमारे रनों की संख्या

विरोधी टीम ये

क्य़ों कम है ?

 

[4] 

हमारा दिल

तब नहीं दहलता

जब दूध के अभाव में

एक मासूम अपना दम

तोड़ देता है,

हमारा दिल

तब दहलता है

जब एक मासूम-सा कैच

एक विराट-सा खिलाड़ी

छोड़ देता है।

 

[5] 

हमने देखी है

हर हाथों की बाॅलिंग- बैटिंग

इसको या उसको भी

शिकवों का इलजाम न दो,

क्रिकेट एक नशा है

रूह से मजा ले लो

खेल को खेल ही रहने दो

कोई नाम न दो ।

 

[6]

भूख-गरीबी- बेकारी

कोरोना- पेट्रोल जैसे

हमारे इर्द-गिर्द

कई राष्ट्रीय गम है,

इन सबके बावजूद

मुस्कराते, चिल्लाते -ताली बजाते

टीवी पर मैच देखते

हम हैं,

हम क्या किसी

” मैन ऑफ दि मैच ” से

कम हैं !

 

© श्री घनश्याम अग्रवाल

(हास्य-व्यंग्य कवि)

094228 60199

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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