हिन्दी साहित्य- कविता – ☆ कविता ☆ – श्री रमेश सैनी

श्री रमेश सैनी

☆  कविता ☆

(प्रस्तुत है सुप्रसिद्ध वरिष्ठ  साहित्यकार  श्री रमेश सैनी जी  की  जी की सार्थक कविता “कविता ”।  कविता के सृजन की पृष्ठभूमि  पर सृजित एक कविता।) 

 

कविता को गढ़ना नहीं पड़ता

कविता रचती है अपने आपको

रचती है अपने समय को

तोड़ती है भ्रम

कवि होनें का

कविता बनाती है, अपना संसार

जिसमें बसती है,असंख्य रचनाये

 

मां ने देखा है

असहनीय दर्द के बाद

पहली बार नर्स की गोद में

अभी- अभी जन्में शिशु को

 

पहली बारिश में भीगते हुए

देखता है,  चुम्बकीय नजरों से

जवान होता हुआ लड़का

सोलह साल की लड़की को

 

जरा सी आहट होने पर

पकड़े जाने के भय से

छुपा लेती है किताब को

जवान लड़की, क़ि कोई

पढ़ न ले छुपा प्रेमपत्र

 

चिड़िया चहक उठती है

चूजे की पहली उड़ान पर

कुहुक उठती है कोयल

आम में जब आते है बौर

 

कविता फूटती है, जब

किसान करता है,  आत्महत्या

मौसम के बेईमान होने पर

 

लड़की मार दी जाती है

करती है,  जब किसी से प्रेम

 

नहीं रोक पाती है, जब कविता

जब रोका जाता है,  किसी को

पानी भरने से

गांव के एकमात्र कुएं से

 

पानी तो पानी,पर उसमें भी

खींच दी जाती है लकीर

पर कविता नहीं खींच पाती

अपने बीच कोई रेखा

 

कविता स्पर्श करना चाहती है

ऐसे क्षणों को

जिनमे प्यार हो,दुःख हो,सुख हो

और हो अपनापन।

 

© रमेश सैनी , जबलपुर 

मोबा . 8319856044