श्री श्याम संकत
(ई-अभिव्यक्ति में श्री श्याम संकत जी का हार्दिक स्वागत है। आप भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। स्वान्त: सुखाय कविता, ललित निबंध, व्यंग एवं बाल साहित्य में लेखन। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं व आकाशवाणी पर प्रसारण/प्रकाशन। रेखांकन व फोटोग्राफी में रुचि। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता ‘कुछ लोग’।
☆ कविता ☆ कुछ लोग ☆ श्री श्याम संकत ☆
कुछ लोग इस तरफ थे
कुछ लोग थे उस तरफ
कुछ लोग किसी भी तरफ नहीं थे
तटस्थ थे, निर्दलीय की भाँति।
आखिर इन दो आँखों से
किस किस को कितनी तरफ देखा जा सकता था
फिर भी सब को देख लिया गया
समझ लिया गया बारी बारी से
लोगों का इधर या उधर होना
उतना महत्वपूर्ण नहीं था
महत्वपूर्ण था, जो भी जहाँ था
उसे देख लिया जाना
समझ लिया जाना।
© श्री श्याम संकत
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