श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे
(प्रस्तुत है श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे जी की एक बेहतरीन गजल। एक वरिष्ठ मराठी साहित्यकार की कलम से लिखी गई गमगीन गजल से निःशब्द हूँ।)
खुशनुमा माहौल में ग़म को उठाए कैसे
ऐसे हालात ग़ज़ल गाएं तो गाएं कैसे
तेरी शहनाई बजी डोली उठी आँगन से
अश्क नादाँ जो बहे उस को छुपाएं कैसे
मोम का दिल हैं मेरा ओ तो पिघल जायेगा
मोम पत्थर सा बनाए तो बनाएं कैसे
गिर गये प्यार के अंबार से तो दर्द हुआ
दर्द सीने में तो हमदर्दी जताए कैसे
मान हम जायेंगे दे के तसल्ली झूठी
मानता दिल ए नही उस को मनाए कैसे
जल गए याद सें लिपटे ही रहे हम तेरे
जल गया हैं जो उसे फिर से जलाए कैसे
वह उठाकर जो चले हैं ये जनाजा मेरा
हाथ उठते ही नहीं दे तो दुआए कैसे
© अशोक भांबुरे, धनकवडी, पुणे.
मो. ८१८००४२५०६, ९८२२८८२०२८
Khupach chan gajal
लाजवाब!