श्री संजय भारद्वाज 

गांधीजी को हमारी पीढ़ी ने देखा नहीं। अलबत्ता गांधी-दर्शन और सत्याग्रह का प्रत्यक्ष दर्शन अप्रैल 2011 में अण्णा हजारे के लोकपाल आंदोलन के दौरान हुआ। बाद में आंदोलन के फलित के रूप में राजनीतिक दल बनाने के एक समूह के निर्णय पर सहमति या असहमति हो सकती है। तथापि देश में अभूतपूर्व चेतना और लोकमानस में अण्णा हजारे के रूप में नये गांधी के दर्शन उस समय का सत्य है। 7 अप्रैल 2011 को लिखी इस रचना का पुणे में जुलूस में पोस्टर और बैनर के रूप में भी उपयोग हुआ। यह रचना उस समय बेहद चर्चित रही।

गांधी जयंती पर आँखों देखे गांधी दर्शन को शब्दबद्ध करने का प्रयास है यह कविता। साथ ही महात्मा गांधी को विनम्र श्रद्धांजलि भी।

☆ गांधीजी के जन्मोत्सव पर विशेष ☆

 ☆  गांधी लौट आया है ☆ 

आज पहली बार-

मंत्रालय के आगे

चाय के ठेले पर काम करता अधनंगा

सरकारी गाड़ी देखकर भी अनदेखी कर गया,

अंगूठाछाप मंत्री की अध्यक्षता वाली

शिक्षा सुधार समिति में

शामिल होने से प्राइमरी का शिक्षक मुकर गया,

मृतक का शरीर देने के लिए

रिश्वत मांगता अस्पताल का कर्मचारी

ज़िंदा आदमी से डर गया,

काग़ज़ पर वज़न रखने के खिलाफ

सरकारी दफ्तर के वज़नी बाबू से

अदना-सा आदमी लड़ गया,

सब्जी बेचनेवाली ने भी

पुलिसिया रंगरूट को

मुफ्त सब्जी देने से कर दिया इंकार,

फुटपाथ पर सोनेवाले ने

निर्वाचित गुंडे का

हफ्ता अदा करने को दिया नकार,

न 26 जनवरी, न 15 अगस्त,

झण्डा बेचनेवाले बच्चे का हाथ

झण्डे के आगे सैल्युट की मुद्रा में

खुद-ब-खुद तन गया,

लोक का सिर गर्व से उठा

तंत्र का बेढब बदन डगमग गया,

व्यवस्था सहमी-सहमी, भ्रष्टाचार आशंकित

हवाओं में परिवर्तन के सुभाषित,

कौन है इस बयार का जनक

निडर-निर्भीक चेहरों का सर्जक,

पुनर्जन्म का मिथक

यथार्थ बना जिसके तेज से,

मुनादी करा दो देश में-

गांधी लौट आया है

अन्ना के भेष में।

 

©  संजय भारद्वाज 

7 अप्रैल 2011

☆ संस्थापक- अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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माया कटारा

गाँधीजी की जयंती पर विचारोत्तेजक रचना – पुनर्जन्म मिथक …….