श्री गौतम नितेश

☆ गुज़ारिश ☆ श्री गौतम नितेश

गुज़ारिश आसमां से है,

इक परवाने की शमां से है,

कुछ इस कदर बिखेर दे

अपने प्यार का रंग,

वो चाहे या ना चाहे?

फिर भी हो मेरे संग,

चाँद की शीतल चाँदनी से

ऐसा हो सर्द उजाला,

तन बदन में सुलग उठे

गर्म लौ सी ज्वाला,

जब हो हमारा साथ,

हाथों में इक दूजे का हाथ,

मद्धम—मद्धम चाँद चले पर

खत्म न हो वो हसीं रात,

फिर सब कुछ जाए ठहर,

बस चलता रहे मध्यरात्रि पहर,

आसमान से मेरी

एक आखरी गुज़ारिश है,

जो अब तक ना हो बरसी!

बरस जाए, वो बारिश है।

© श्री गौतम नितेश

गढ़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
9926494244.

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Nitesh Goutam

🙏(धन्यवाद)🙏

sachin Goutam

Waah✨

Nitesh Goutam

धन्यवाद