डॉ मौसमी परिहार

(संस्कारधानी जबलपुर में  जन्मी  डॉ मौसमी जी ने “डॉ हरिवंशराय बच्चन की काव्य भाषा का अध्ययन” विषय पर  पी एच डी अर्जित। आपकी रचनाओं का प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन तथा आकाशवाणी और दूरदर्शन से नियमित प्रसारण। आकाशवाणी के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘युगवाणी’ तथा दूरदर्शन के ‘कृषि दर्शन’ का संचालन। रंगकर्म में विशेष रुचि के चलते सुप्रसिद्ध एवं वरिष्ठ पटकथा लेखक और निर्देशक अशोक मिश्रा के निर्देशन में मंचित नाटक में महत्वपूर्ण भूमिका अभिनीत। कई सम्मानों से सम्मानित, जिनमें प्रमुख हैं वुमन आवाज सम्मान, अटल सागर सम्मान, महादेवी सम्मान हैं।  हम भविष्य में आपकी चुनिंदा रचनाओं को ई- अभिव्यक्ति में साझा करने की अपेक्षा करते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक अतिसुन्दर कविता  ‘चांदनी’ )   

 ☆ कविता  – चांदनी ☆

 

आज अचानक देखा,

ठूँठ पर ,फिर निकल पडी

सफेद चांदनी के फूल की

नई कोपलें,,,,

 

और कुछ नई  कलियां भी,

तीखी धूप में, सफेद श्रृंगार

मानो  ललचा रही है धूप को,

 

हमने तो रात की  चांदनी

ही सुनी थी ,चांद वाली

अब देखो, ये चांदनी भी

बिखेर रही है ,,,,चांदनी धूप के साथ !!

 

© डॉ मौसमी परिहार

21/04/20

संप्रति – रवीन्द्रनाथ टैगोर  महाविद्यालय, भोपाल मध्य प्रदेश  में सहायक प्राध्यापक।

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