हिन्दी साहित्य – कविता ☆ जीवनदायी – जीवनदायिनी ☆– श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”
श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”
☆ जीवनदायी – जीवनदायिनी ☆
सुनो ऐ-हिन्दुस्तानियों,
पूरा जोर लगा के कहता हूँ,
शास्त्रों का हवाला देता हूँ।
वो …….?
नही रुकेगा पास तुम्हारे,
जिसका न करोगे तुम सम्मान,
जरूरत पड़ने पर भी।
वो ……..?
न होगा साथ तुम्हारे,
जानो महत्व उसका।
वो…….?
है पारदर्शी जीवन दायी,
अब भी न संभले भाई,
समझो मृत्यु तुम्हें है आई।
वो…….?
दिखता,
कल-कल कर चलता,
अब, कम गिरता,
जीवन उसके लिए है तरसता।
रोक सको तो रोक लो,
संभव है जितना
कम से कम
उतना ही भर लो।
न समझे अब भी,
न फिर संभलोगे कभी,
सुन लो ऐ हिन्दुस्तानी
छोटी सी पानी की है यह कहानी……..
न संभले तो न रहेगी तुम्हारी निशानी…….
© माधव राव माण्डोले “दिनेश”, भोपाल
(श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”, दि न्यू इंडिया एश्योरंस कंपनी, भोपाल में सहायक प्रबन्धक हैं।)