हिन्दी साहित्य- कविता – ☆ जल भर-भर ले आए मेघा ☆ – सुश्री मालती मिश्रा ‘मयंती’

सुश्री मालती मिश्रा ‘मयंती’

 

(प्रस्तुत है सुश्री मालती मिश्रा  जी  की  एक भावप्रवण सामयिक  कविता।)

 

☆ जल भर-भर ले आए मेघा 

 

जल भर भर ले आए मेघा,

घटा घिरी घनघोर।

दादुर मोर पपीहा बोले,

झींगुर करता शोर।।

 

रिझरिम रिमझिम बरसे सावन,

लगे नाचने मोर।

टर टर करते दादुर निकले,

धूम मची चहुँओर ।।

 

प्यास बुझी प्यासी धरती की,

मनहि रही हरषाय।

तप्त हृदय की तृषा मिटी अब,

शीत हुआ हिय जाय।।

 

तड़ तड़ करती बूँदें देखो,

तरुवर को नहलाय ।

मंद हवा के पवन झकोरे,

नव संगीत सुनाय।।

 

©मालती मिश्रा मयंती✍️

दिल्ली
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