श्री वीरेंद्र प्रधान
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री वीरेंद्र प्रधान जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन (कवि, लघुकथाकार, समीक्षक)। प्रकाशित कृति – कुछ कदम का फासला (काव्य-संकलन), प्रकाशनाधीन कृति – गांव से बड़ा शहर। साहित्यकारों पर केन्द्रित यू-ट्यूब चैनल “प्रधान नामा” का संपादन। )
☆ कविता ☆ तन-मन पर छा जाओ ☆ श्री वीरेंद्र प्रधान ☆
तुम से दो कदम पहले होता है अन्त
और एक कदम पहले शुरुआत
वहुत गजब है प्रिय! तुम्हारी बात।
शुरुआत से अन्त का यही क्रम
अनन्त काल से चलता है अबाध।
अपने सब मित्रों और सखियों में
सबसे कम तुमने पाया कद
किन्तु किसी के आगे
और किसी के पीछे होकर
हो तुम निरापद।
थोड़ी सी बढ़ जाती है
हर चार साल में तुम्हारी लम्बाई
फिर जस की तस
सबसे छोटी दिखती तुम्हारी परछाई
फिर भी एक दो नहीं वरन
दस को छुपा लेती हो तुम
महीनों की पांच में
तुम्हारा क्रम है पूर्व निर्धारित।
युवाओं को तुम्हारे पूर्ण युवा होने का
वर्ष भर रहता है इन्तजार
और तुम्हारे सोलह नहीं वरन
चोदह की होने पर ही होता है प्रेम-दिवस।
हमेशा बना रहे तुम्हारा यौवन
वर्ष भर बांटते रहें उपहार मन।
तुम छुपो मत सामने आओ
बाल, वृद्ध, युवा के तन-मन पे’ जा जाओ।
© वीरेन्द्र प्रधान
संपर्क – जयराम नगर कालोनी, शिव नगर, रजाखेड़ी, सागर मध्यप्रदेश
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