श्री घनश्याम अग्रवाल

(श्री घनश्याम अग्रवाल जी वरिष्ठ हास्य-व्यंग्य कवि हैं. आज प्रस्तुत है उनकी  दीपावली पर्व पर  विशेष व्यंग्य कविता एक दीये ही हैं )

दीपावली विशेष – व्यंग्य कविता – एक दीये ही हैं

 एक दीये ही हैं

जो

रात में जलते हैं,

वरना

जलने वाले तो

दिन – रात जलते हैं । ”

 

आप पहली किस्म के हैं

आपको

सलाम करता हूँ,

दीवाली की अपनी शाम

आपके नाम करता हूँ ।

 

मेरा क्या  ?

मुझे जब भी

रोशनी को जरूरत होती

आपको याद कर

रोशन हो जाता हूँ,

जब मूड आये

दीवाली मनाता हूँ ।

(इससे इम्युनिटी बढ़ती सो अलग ! )

 

© श्री घनश्याम अग्रवाल

(हास्य-व्यंग्य कवि)

094228 60199

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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