श्री घनश्याम अग्रवाल
(श्री घनश्याम अग्रवाल जी वरिष्ठ हास्य-व्यंग्य कवि हैं. आज प्रस्तुत है उनकी दीपावली पर्व पर विशेष व्यंग्य कविता एक दीये ही हैं )
☆ दीपावली विशेष – व्यंग्य कविता – एक दीये ही हैं ☆
एक दीये ही हैं
जो
रात में जलते हैं,
वरना
जलने वाले तो
दिन – रात जलते हैं । ”
आप पहली किस्म के हैं
आपको
सलाम करता हूँ,
दीवाली की अपनी शाम
आपके नाम करता हूँ ।
मेरा क्या ?
मुझे जब भी
रोशनी को जरूरत होती
आपको याद कर
रोशन हो जाता हूँ,
जब मूड आये
दीवाली मनाता हूँ ।
(इससे इम्युनिटी बढ़ती सो अलग ! )
© श्री घनश्याम अग्रवाल
(हास्य-व्यंग्य कवि)
094228 60199
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈