हिन्दी साहित्य- कविता – ☆ दोस्ती लाइलाज मर्ज की दवा ☆ – श्री प्रह्लाद नारायण माथुर 

मैत्री दिवस विशेष

श्री प्रह्लाद नारायण माथुर 

(मित्रता दिवस पर मित्रों को समर्पित कविता  दोस्ती लाइलाज मर्ज की दवा”

 

हम भले ही  मित्रता दिवस वर्ष में एक ही दिन मनाते और मित्रों का स्मरण करते हैं।  किन्तु, मित्रता सारे वर्ष निभाते हैं। अतः  मित्रता दिवस पर प्राप्त आलेखों एवं कविताओं का प्रकाशन सतत जारी है। कृपया पढ़ें, अपनी प्रतिक्रियाएँ दें तथा उन्हें आत्मसात करें।))

 

दोस्ती लाइलाज मर्ज की दवा

 

दोस्त दुनिया के सारे लाइलाज मर्ज़ की अनमोल दवा है,

इनमें वो हुनर होता है जो बुढ़ापे में भी जवानी का अहसास करा देते हैं ||

 

दोस्त तो चमन का वह फूल है जो मुरझाते शरीर में जान डाल देता है,

ये जिगर के वो टुकड़े है जो पुरानी यादों को चंद लम्हों में तरोताजा कर देते हैं ||

 

अगर कोई दिल के सबसे नजदीक होते हैं तो वे दोस्त ही होते हैं,

दिल के सारे राज के राजदार और जिंदगी के हमराज ये दोस्त ही तो होते हैं ||

 

जब दोस्त मिलते हैं तो सब एक दूसरे की पुरानी बातें चटकारे लेकर सुनाते हैं,

हसी मजाक करते हुए दोस्त यह भी भूल जाते हैं की सब अब बूढ़े हो चले हैं ||

 

अब सब के परिवार हो गए, समय के बदलाव के कारण दूर होते चले गए,

भूले बिसरे गीतों की तरह जब भी मिलते हैं तो एक झटके में सारी दूरियां खत्म कर देते हैं ||

 

जिंदगी के हर बीते लम्हों को रंगीन बनाकर सुनाने में माहिर होते हैं ये दोस्त,

बचपन की नादानियाँ और जवानी के किस्से ये दोस्त चटकारे ले लेकर सुनाते हैं ||

 

अब सब दोस्त बूढ़े हो चले, हर कोई किसी ना किसी परेशानी से गुजर रहा है,

मगर आज जब भी दोस्त मिलते हैं तो कुछ देर के लिए सब को जवान बना देते हैं ||

 

दोस्तों के साथ बिताये दिनों को याद करके कभी हंसी तो कभी रोना आता है,

सच है, ये दोस्त दुनिया की सारी लाइलाज बीमारियों की अनमोल दवा होते हैं ||

 

© प्रह्लाद नारायण माथुर