श्री जयेश कुमार वर्मा
(श्री जयेश कुमार वर्मा जी का हार्दिक स्वागत है। आप बैंक ऑफ़ बरोडा (देना बैंक) से वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। हम अपने पाठकों से आपकी सर्वोत्कृष्ट रचनाएँ समय समय पर साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता धुँए का दर्द…।)
☆ कविता ☆ धुँए का दर्द… ☆
जब…वो…बीड़ी….
सुलगाता है…..,
दर्द…हवा..
मजा.. मजा…सा…आता..है..
धुँए सा निकलता है….,
दर्द….सीने.. का..
पल भर… आँखों को…धुंधुआँता….
अंतरतम की अंनत गहराइयों को..
तृप्त..कर..
कायनात में मिल जाता है…
मुसीबतें..
कितनी..कितनी…झेलीं.. उसने…
लक़ीर.. दर.. लकीर..,
उकेरीं…माथे..पे..वक़्त ..ने..
मुसीबतों का..ये.. शिलालेख..
बीड़ी के धुँए में…..
गुम.. गुम.. सा.. जाता. है..
वक़्त के साथ…
एक.. बीड़ी..
बुझ..बुझ..कर…
रोज़ जलती है..
उठते…धुएँ..सा..दर्द..
ज़िन्दगी पर..
फिर…. भारी….. हो जाता है…
© जयेश वर्मा
संपर्क : 94 इंद्रपुरी कॉलोनी, ग्वारीघाट रोड, जबलपुर (मध्यप्रदेश)
वर्तमान में – खराड़ी, पुणे (महाराष्ट्र)
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