श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं. आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. आज प्रस्तुत है नवरात्रि पर्व पर आपके द्वारा रचित “नवरात्रि पर दोहे…”. आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं.)

☆ नवरात्रि विशेष ☆ नवरात्रि पर दोहे… ☆ श्री संतोष नेमा “संतोष”

शैलपुत्री माँ प्रथम दिन, पूजा करिए आप

गौ घृत खीर चढ़ाइए, मिटें शोक संताप

 

दिवस दूसरा पूजिये, ब्रम्हचारिणी मात

मिश्री चीनी भोग का, दें माँ को सौगात

 

चन्द्रघंटा माँ नमन है, पूजिये दिवस तृतीय

दूध-मलाई चढ़ा कर, बोलें जय रमणीय

 

चतुर्थ दिवस कुष्मांडा, जपिये माँ का नाम

मालपुये का भोग लगे, हरतीं रोग तमाम

 

आरती माँ स्कन्द की, हरे विषम आघात

केला भोग लगाइए, पंचम दिवस सुहात

 

छठवें दिन कात्यायनी, ममता का हैं रूप

करें ग्रहण माता शहद, धरें दीप अरु धूप

 

कालरात्रि माँ सप्तमी, करतीं मोक्ष प्रदान

गुड़ मेवे का भोग पा, करें सदा कल्यान

 

महागौरी माँ नमस्तु, चढ़े नारियल पान

भोजन कन्या अष्टमी, खूब कीजिये दान

 

सिद्धिदात्री नवम दिवस, चढता तिल अरु अन्न

दया करो माँ सभी पर, होवें सभी प्रसन्न

 

नवरात्रि के व्रत रखें, मिले सुखद संतोष

पहुँचे जो माँ की शरण, उसके हरतीं दोष

 

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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