श्री हरभगवान चावला

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं  में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा  लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।) 

आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण एवं विचारणीय कविताएं – नदी – दो कविताएं)

☆ कविता  ☆  नदी – दो कविताएं ☆ श्री हरभगवान चावला ☆

नदी – एक

मेरे प्राण नदी में बसते थे

और नदी सूख रही थी

मैं नदी की धारा को

कलकल बहते देखना चाहता था

और धारा को रेत ने ढाँप लिया था

मैं अपनी अंजुरियों से

निरंतर हटा रहा था रेत

नदी पुकार उठती बार-बार-

‘सूख जाना मेरी नियति है

व्यर्थ प्रयत्न मत करो, लौट जाओ’

हताश मैं लौटने को होता

तो तड़प उठती नदी

थोड़ा दृष्टि से ओझल होता

तो सुनाई पड़ता कातर स्वर-

‘कहाँ हो ?’

मैं नदी के पास पहुँच

फिर रेत से लड़ने लगता

रेत से लड़ते-लड़ते छलनी हो गए मेरे हाथ

मेरे हाथ देख विचलित हो उठी नदी

उसने उमड़ कर थाम लिए मेरे हाथ

मुझे ताकती रही

और बड़बड़ाती रही नदी-

‘क्यों हठ करते हो

क्यों रेत हो जाना चाहते हो मेरी तरह

लौट जाओ, लौट जाओ !’

मैं हठ ठानकर रेत से लड़ रहा हूँ

और अचरज कि नदी

खुद रेत से प्यार करने लगी है

मुझे अब भी बार-बार सुन पड़ती है

नदी की करुण प्रार्थना-

‘लौट जाओ, मैं मृगतृष्णा हूँ

मेरे पास आओगे

तो प्यास के सिवा कुछ नहीं पाओगे

रेत से लड़ोगे तो हार जाओगे’

मैं नदी की पुकार सुनता हूँ

फिर भी वहीं खड़ा हूँ

मुझे ड़र है तो लौटा तो

तुरंत रेत हो जाएगी नदी

रेत से लड़ते हुए रेत हो जाना स्वीकार है मुझे

सूखने के लिए कैसे छोड़ दूँ

नदी में मेरे प्राण बसते हैं।

 

☆ नदी – दो ☆

तुम चाहते हो

नदी हमेशा बहती रहे

शांत और संयत

उसमें इतना भर पानी रहे

कि तुम किनारे बैठे रहो

और तुम्हारे पाँव जल में डूबे रहें

नदी न कभी तुम्हारा हाथ छुए

न तुम्हारे चेहरे को भिगोए कभी फुहार

नदी कभी आह्लादित न हो, न बहुत उदास

बरसात के मौसम में

कहीं-कहीं से आकर

नदी में मिलता रहे जल

नदी तब भी बनी रहे

स्वच्छ और संयमित

कितने भी पत्थर टूटकर गिरें

नदी का प्रवाह न हो बाधित

मौसम कैसा भी हो

वह बहे एकरस

तुम्हारे पाँवों को छूती हुई

तुम्हें भी पता है

लाख कोशिशों के बावजूद

ऐसे ही नहीं बहती रह सकती

कोई नदी !

©  हरभगवान चावला

सम्पर्क – 406, सेक्टर-20, हुडा,  सिरसा- 125055 (हरियाणा) फोन : 9354545440

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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