प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी की नव वर्ष पर कविता ‘स्वागत नूतन वर्ष तुम्हारा‘। )
स्वागत नूतन वर्ष तुम्हारा जन-जन को हर्षाने वाले
जग के कोने कोने में हे! मधु मुस्काने लाने वाले।
उषा की उज्जवल शुभ किरणें तुम सारे जग में फैलाओ-
खुशियाँ पायें वे सब निर्बल जो हैं दुख में रहने वाले ।।1।।
ऐसा वातावरण बनाओ जिससे हो घर-घर खुशहाली
जहाँ उदासी पलती आई वहाँ पर भी आये जीवन लाली।
उपजे मन में सदाचार सद्भाव प्रेम की शुभ इच्छायें-
कहीं कोई मन प्रेम शांति सुख खुशियों से अब रहे न खाली ।।2।।
प्रगति सभी को सदा साथ दे, कहीं कोई न हो कठिनाई
सुख-दुख की घड़ियों में सारे लोग रहें ज्यों भाई-भाई।
अधिकारों के साथ सभी को कर्तव्यों का बोध सदा हो-
निष्ठा और विश्वास आपसी सबके हित नित हो सुखदायी ।।3।।
कर्म- धर्म की रीति नीति से भूले भटके जो रहवासी
सही राह पर चल सकने को वे बन जायें उचित विश्वासी।
ऐसा करो प्रयास कि दुनियाँ फुलवारी सी हो सुखकारी-
कभी विफल हो न निराश हो कर्म मार्ग का कोई प्रत्याशी ।।4।।
सबके हित मंगलकारी हो तन आगमन हे आने वाले!
समझदार हो हर एक मानव, नित अपना कर्तव्य संभाले ।।
प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव ’विदग्ध’, शिलाकुंज, रामपुर, जबलपुर