प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ नववर्ष मूलक कुंडलिया ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
(1)
लेना तुम संकल्प यह, हो हर पल का मान।
लक्ष्य ध्यान में नित्य रख, कर नित ही उत्थान।।
कर नित ही उत्थान, कर्म से दूर न होना।
किंचित भी निज ताप, बंधु तुम कभी न खोना।।
आशा का तो दीप, कभी बुझने मत देना।
गया वर्ष जो बीत, उसे उर में भर लेना।।
(2)
बीता जो, वह जा रहा, लिखकर नव इतिहास।
कभी रुदन उसने दिया, कभी रचाया हास।।
कभी रचाया हास, आज नूतन की माया।
हुई तरंगित देह, सुखद मौसम है आया।।
अंतर का उल्लास, आज निश्चित ही जीता।
मची नवल की धूम, जा रहा जो है बीता।।
(3)
जाने वाला जा रहा, देकर मंगल भाव।
आने वाला आ रहा, लेकर पावन ताव।।
लेकर पावन ताव, नया सब अच्छा होगा।
वह अब हो बेक़ार, अभी तक जो है भोगा।।
कहने का यह मर्म, नया नव गाने वाला।
करता है गुड बाय, बंधुवर जाने वाला।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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