प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे
☆ नर्मदा – वंदना ☆ प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे ☆
(नर्मदा जयंती 4 फरवरी पर विशेष)
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रेवा मैया नर्मदा, है तेरा यशगान।
तू है शुभ, मंगलमयी, रखना सबकी आन।।
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शैलसुता, तू शिवसुता, तू है दयानिधान।
सतत् प्रवाहित हो रही, तू तो है भगवान।।
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जीवनरेखा नर्मदा, करती है कल्याण।
रोग, शोक, संताप को, मारे तीखे बाण।।
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दर्शन भर से मोक्ष है, तेरा बहुत प्रताप।
तू कल्याणी, वेग को, कौन सकेगा माप।।
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नीर सदा बहता रहे, कंकर है शिवरूप।
तू पावन, उर्जामयी, देती सुख की धूप।।
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अमिय लगे हर बूँद माँ, तू है बहुत महान।
तभी युगों से हो रहा, माँ तेरा गुणगान।।
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प्यास बुझाती मातु तू, देती जीवनदान।
तू आई है इस धरा, बनकर के वरदान।।
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अमरकंट से तू निकल, गति सागर की ओर।
तेरी महिमा का नहीं, मिले ओर या छोर।।
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संस्कारों को पोसकर, करे धर्म का मान।
तेरे कारण ही मिला, जग को नया विहान।।
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अंधकार को मारकर, तू देती उजियार ।
पावन तूने कर दिया, रेवा माँ! संसार।।
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© प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे
प्राचार्य, शासकीय महिला स्नातक महाविद्यालय, मंडला, मप्र -481661
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