हिन्दी साहित्य – कविता ☆ नव वर्ष विशेष – नव वर्ष पर एक नव गीत ☆ डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
डॉ सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी नव वर्षाभिनंदन पर नवीन कविता “नव वर्ष पर एक नव गीत”। )
☆ नव वर्ष पर एक नव गीत☆
आज पर विमर्श लिखें…….
चलो, नया वर्ष लिखें
स्वागत – वन्दन करते
अभिनव चिंतन करते
प्रमुदित मन,हर्ष लिखें।
बीते से, सीखें हम
नये कुछ,सलीके हम
हो चुकी अगर भूलें
करें नहीं,उनका गम
नव प्रभात किरणों से
आज पर, विमर्श लिखें,
चलो, नया वर्ष ——–।
संक्रमणित हलचल का
कुटिल,कौरवी दल का
देव – भूमि भारत में
अंश न बचे,छल, का,
राष्ट्र हितैषी मिल कर
विजयी, निष्कर्ष लिखें
चलो, नया वर्ष———।
समता के, भाव जगे
भेद – भाव, दूर, भगे
धर्म, जाति-भेद भूल
निश्छल मन, गले लगें,
अन्तर स्थित सब के
उस प्रभु का दर्श लिखें
चलो, नया वर्ष———।
संकल्पित हों,जन-जन
देश-प्रेम हित, चिन्तन
करुणामय धर्म-ध्वजा
फहरे,जल-थल व गगन,
नव-विवेक, शुचिता से
मंगल उत्कर्ष लिखें
आज पर विमर्श लिखें—-।।
सुरेश कुशवाहा तन्मय
बी – 101, महानंदा ब्लॉक, विराशा हाइट्स, दानिशकुंज ब्रिज, कोलार रॉड भोपाल
मो. 9893266014