डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव

(डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव जी  का  ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। हम भविष्य में डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव जी की चुनिंदा रचनाएँ आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आज प्रस्तुत है उनकी एक विचारणीय कविता पर्यावरण  विलाप 

☆ कविता – पर्यावरण  विलाप ☆

 

पांच तत्व जब मिले तब

अपना बना शरीर

किन्तु कवि क्या सोचते

इन तत्वों की पीर

निर्मल जल गंदा किया

गंदे नदी तड़ाग

बूंद बूंद को तरसते

कोसे वन भाग

दुर्गंधों से भर दिया

निर्मल था आकाश

पाव कुल्हाड़ी मार कर

किया हमीं ने नाश

भांति भांति के बृक्ष है

जीवन हित अनमोल

किंतु हमारी बुद्धि ने कभी ना समझा मोल

अब सब बैठे कर रहे पर्यावरण विलाप

सख्त जरूरत समय की सुधरे क्रियाकलाप।

 

© डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव

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राजेश पाठक प्रवीण

पंच तत्वों का वैचारिक दर्शन।बधाई

Shyam Khaparde

अच्छी रचना

Chhaya saxena

बहुत बढ़िया