श्री संतोष नेमा “संतोष”
(पितर पक्ष के अवसर पर जब हम अपने पितरों का स्मरण करते हैं ऐसे अवसर पर प्रस्तुत हैं आदरणीय श्री संतोष नेमा जी के कुछ अविस्मरणीय दोहे .)
☆ पितृ पक्ष पर कुछ दोहे सादर समर्पित ☆
पितरों को सादर नमन, वंदन शत शत बार
सदा आप ही हमारे, जीवन का आधार
तुम बिन सूना सा लगे, यह अपना घर द्वार
कोई देता है कहाँ, तुम सा लाड़ प्यार
तर्पण पितरों का करें, सदा प्रेम से आप
श्रद्धा से ही श्राद्ध है, हरती भव के ताप
जिनके पुण्य प्रताप से, जीवन में उल्लास
उनके ही आशीष से, रिद्धि सिद्धि का वास
पुण्य कर्म से सुधरता, अपना ही परलोक
करनी ऐसी कर चलो, घर में हो आलोक
आना जाना है लगा,यह जीवन का सार
अपने कर्मों से मिले,जीवन में सत्कार
पितृ भक्ति से सदा ही,जीवन सफल महान
पित्र चरण की धूल को,पूजे सकल जहान
ईश्वर के अस्तित्व का,हो जिनसे अहसास
धन्य धन्य वो लोग हैं, रहें पिता के पास
पितरों के आशीष से,जीवन में “संतोष”
सांची सेवा से बढ़े, सुखद शांति का कोष
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@ संतोष नेमा “संतोष”
आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.)
मोबा 9300101799
Very good