श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’
(साहित्यकार श्रीमति योगिता चौरसिया जी की रचनाएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों/पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में सतत प्रकाशित। कई साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। दोहा संग्रह दोहा कलश प्रकाशित, विविध छंद कलश प्रकाशनाधीन ।राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मंच / संस्थाओं से 200 से अधिक सम्मानों से सम्मानित। साहित्य के साथ ही समाजसेवा में भी सेवारत। हम समय समय पर आपकी रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करते रहेंगे।)
☆ कविता ☆ प्रेमा के प्रेमिल सृजन… चैत्र नवरात्र… ☆ श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ ☆
☆
चैत्र मास तिथि प्रतिपदा , बहुत हर्ष है आज।
नवसंवत्सर वार है , बनते शुभमय काज।।1!!
*
भजते माँ अम्बे रहे, नवसंवत्सर वार।
जले ज्योति है नौ दिवस, माँ करती उद्धार।।2!!
*
माँ अम्बे का सज रहा, खूब बड़ा दरबार।
रखे मात अम्बे कदम, हरती कष्ट अपार।।3!!
*
पूजा घर पर ही करें , भगवा ध्वज फहराय।
चरण शरण मैया पड़े , जीवन का सुख पाय।।4!!
*
धर्म जाति कोई रहे, माने खुश त्योहार।
भक्ति भाव मन में सजे, सुखद बने संसार।।5!!
*
नव कलिका मन की खिली, अब आनन्द विभोर।
नव संवत्सर की किरण , मन में करती शोर।।6!!
*
चैत्र शुक्ल संवत रहे, सुखमय हो परिवेश।
बुरी बला जग से मिटे, मिले सुखद संदेश।।7!!
*
भारतीय नव वर्ष में,मना रहे त्योहार।
सत्य सनातन धर्म यह, नवसंवत शुभ सार।।8!!
*
जले ज्योति हर घर सजे, हुआ तिमिर का नाश।
कलश स्थापना कर रहे, करते दूर निराश।।9!!
*
जीवन जीना शुरु करें, करना सदा विशेष ।
धर्म कर्म अरु प्रीत भर, अंतस मत रख द्वेष ।।10!!
☆
© श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’
मंडला, मध्यप्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈