श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’
(साहित्यकार श्रीमति योगिता चौरसिया जी की रचनाएँ प्रतिष्ठित समाचार पत्रों/पत्र पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में सतत प्रकाशित। कई साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। दोहा संग्रह दोहा कलश प्रकाशित, विविध छंद कलश प्रकाशित। गीत कलश (छंद गीत) और निर्विकार पथ (मत्तसवैया) प्रकाशाधीन। राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय मंच / संस्थाओं से 350 से अधिक सम्मानों से सम्मानित। साहित्य के साथ ही समाजसेवा में भी सेवारत। हम समय समय पर आपकी रचनाएँ अपने प्रबुद्ध पाठकों से साझा करते रहेंगे।)
☆ कविता ☆ प्रेमा के प्रेमिल सृजन… नागपंचमी ☆ श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’ ☆
[(नागपंचमी) चौरसिया दिवस]
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चौरसिया यह है दिवस, नागपंचमी आज ।
पान बेल को पूजते, करते पूजन काज ।।1!!
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दूध पिलाते नाग को, मिलता आशीर्वाद ।
धूप-दीप नैवैद्य को, चढ़ा दूर अवसाद ।। 2!!
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रक्षा लक्ष्मी की करें, नाग कुण्डली मार ।
घर में बढ़ती है कृपा, धन वैभव संसार ।।3!!
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चित्र बना पूजन करें, रहे मान्यता साथ ।
द्वार विराजे नाग जो, सभी झुकाएँ माथ ।।4!!
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पाँच नाग को आँगना, बैठा पूजे द्वार ।
भोग लगाते हम सभी, नागपंचमी वार ।।5!!
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रखवाली कर खेत की, बढ़ा सम्पदा रोज ।
धन्य साग फूलें सभी, सबको देते भोज ।।6!!
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चौरसिया करते सदा, लक्ष्मी रक्षा ओट ।
मिला तभी वरदान है, पान बरेजे खोट ।।7!!
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खोटें जब भी पान को, नहीं काटता नाग ।
नाग कृपा बनती रहे, संतति किस्मत जाग ।।8!!
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कर रक्षा परिवार की, करें नाग उद्धार ।
सभी बंधु मिलकर जपें, खुशी सजे संसार ।।9!!
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चौरसिया बनके अभी, जन्में खुशी अपार ।
पुण्य किये थे काज को, मिला यही परिवार ।।10!!
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© श्रीमति योगिता चौरसिया ‘प्रेमा’
मंडला, मध्यप्रदेश मो –8435157848
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈