श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर
कविता
☆ पुण्य स्मरण… – मराठी कवयित्री : सौ. उज्ज्वला केळकर ☆ भावानुवाद – श्री भगवान वैद्य “प्रखर” ☆
सौ. उज्ज्वला केळकर
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उस महापुरुष का पुण्यस्मरण…
पुतले का अनावरन
चरित्र का गुणगान,
‘पिछले कई शतकों में
नहीं हुआ ऐसा महामानव
न होगा अगले कई शतकों में’
भीगे स्वर…
पनीली आंखें…
अभिभूत मन …
‘उनके बतलाये मार्ग पर चलने का
करें संकल्प…’
तालियां…जोरदार तालियां…
‘उनके कार्य की ज्योत
जलाये रखने का करें संकल्प…’
फिर एक बार जोरदार तालियां …
अनेक शब्द…
अनेक संकल्प
पुतले के चरणों में करके अर्पण,
निकल गये सारे रिक्त नैनों से,
खुले मन से।
महापुरुष का पुतला
समेटता रहा उनके संकल्पों के कफन ।
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मूल मराठी कविता – सौ. उज्ज्वला केळकर
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हिन्दी भावानुवाद – श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर
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≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈