डॉ. मुक्ता
(डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य” के माध्यम से हम आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। पर्यावरण दिवस के अवसर पर आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी की एक रचना धरती प्यारी मां। यह डॉ मुक्ता जी के पर्यावरण के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की लेखनी को इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण कविता के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें। )
☆ पर्यावरण दिवस विशेष – धरती प्यारी मां ☆
धरती हमारी स्वर्ग से सुंदर
नव-निधियों की खान मां
सहनशीलता का पाठ पढ़ाती
मिलजुल कर रहना सिखाती मां
अपरिमित सौंदर्य का सागर
अन्नपूर्णा, हमारी प्यारी मां
जन्मदात्री,सबका बोझ उठाती
पल-पल दुलराती,सहलाती मां
विपत्ति की घड़ी में धैर्य बंधाती
प्यार से सीने से लगाती मां
कैसे बयान करूं उसकी महिमा
शब्दों का मैं अभाव पाती मां
मानव की बढ़ती लिप्सा देख
रात भर वह आंसू बहाती मां
सरेआम शील-हरण के हादसे
उसके अंतर्मन को कचोटते मां
अपहरण, फ़िरौती के किस्से
मर्म को भेदते,आहत करते मां
पाप,अनाचार बढ़ रहा बेतहाशा
विद्रोह करना चाहती घायल मां
मत लो उस के धैर्य की परीक्षा
सृष्टि को हिलाकर रख देगी मां
आओ! वृक्ष लगा कर धरा को
स्वच्छ बनाएं,हरित-क्रांति लाएं
प्लास्टिक का हम त्याग करें
स्वदेशी को जीवन में अपनाएं
जल बिन नहीं जीवन संभव
बूंद-बूंद बचाने की मुहिम चलाएं
वायु-प्रदूषण बना सांसों का दुश्मन
नदियों का जल भी विषैला हुआ
प्रकृति का आराधन-पूजन करें
सर्वेभवंतु सुखीनाम् के गीत गाएं
पर्यावरण की रक्षा हित हम सब
मानसिक प्रदूषण को भगाएं मां
दुष्प्रवृत्तियां स्वत: मिट जाएंगी
ज़िंदगी को उत्सव-सम मनाएं मां
© डा. मुक्ता
माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत।
पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी, #239,सेक्टर-45, गुरुग्राम-122003 ईमेल: drmukta51@gmail.com
मो• न•…8588801878
22.4.20….4.30 p.m
अच्छी रचना