☆ बाल कविता – इंद्रधनुष ☆ सुश्री ज्योती महाजन ☆
रंग बिरंगे फूलों जैसा
रंगोली के रंगों जैसा
तितली के सुंदर पंखों जैसा
दुल्हन की रंगी मेहंदी जैसा
मन को भाता नयन सुहाता
बच्चों और बड़ों का प्यारा
रहा है और रहेगा सबका दुलारा
बरसात के बाद आसमान में झलकता
विशाल निले अम्बर को सजाता
सात रंगों से बना सजीला
मानो स्वर्ग का द्वार लचीला
सबको लुभाता, कितना प्यारा
धरती पर मानों स्वर्ग है उतरा….
मन भावन स्वरूप खुशी दिलाता
– इंद्रधनुष है यह कहलाता…
© सुश्री ज्योती महाजन
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