☆ बाल कविता – इंद्रधनुष ☆ सुश्री ज्योती महाजन ☆ 

 

रंग बिरंगे फूलों जैसा

रंगोली के रंगों जैसा

तितली के सुंदर पंखों जैसा

दुल्हन की रंगी मेहंदी जैसा

मन को भाता नयन सुहाता

बच्चों और बड़ों का प्यारा

रहा है और रहेगा सबका दुलारा

बरसात के बाद आसमान में झलकता

विशाल निले अम्बर को सजाता

सात रंगों से बना सजीला

मानो स्वर्ग का द्वार लचीला

सबको लुभाता, कितना प्यारा

धरती पर मानों स्वर्ग है उतरा….

मन भावन स्वरूप खुशी दिलाता

– इंद्रधनुष है यह कहलाता…

 

©  सुश्री ज्योती महाजन

Mobile:  8830167199

Email id:  [email protected]

 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_printPrint
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments