श्री अखिलेश श्रीवास्तव 

(विज्ञान, विधि एवं पत्रकारिता में स्नातक श्री अखिलेश श्रीवास्तव जी 1978 से वकालत एवं स्थानीय समाचार पत्रों में सम्पादन कार्य में सलग्न । स्वांतः सुखाय समसामयिक विषयों पर लेख एवं कविताएं रचित/प्रकाशित। प्रस्तुत है आपकी बच्चों के लिए रचित एक  कविता काले रंग की महिमा।)

☆ बाल कविता  – काले रंग की महिमा ☆ श्री अखिलेश श्रीवास्तव ☆

काले रंग की महिमा का

अजी सुनो गुणगान

काले रंग से तुम घृणा

नहीं करो इंसान।।

 

काला तिल है चेहरे पर

सुंदरता की पहचान

काले कजरारे नैनौं पर

लुट जाता है इंसान।।

 

नज़र से बचने के लिए

काला लगे निशान

काले लम्बे बाल ही

हैं महिला की आन।।

 

काली काली मूंछ ही

 है मर्दों की शान

महिला काली साड़ी में

सबका खींचें ध्यान।।

 

काले मोती की माला

का मंगलसूत्र महान

सुहागिन नारी की

यही एक पहचान।।

 

सात रंग सुन्दर लगें

सब करते हैं बखान

काले रंग के फेरते

मिट जाती पहचान।।

 

काली करतूतें समाज में

करती है बदनाम

काले कर्मों की सज़ा

देता है भगवान।।

 

काले मेघा देखकर

खुश हो जाये किसान

बुरी नज़र से बचाये

काला धागा महान।।

 

काले बोर्ड से शुरू हुआ

है शिक्षा का ज्ञान

काले कोट से मिल रहा

हमें न्याय वरदान।।

 

काले  भगवन् कृष्ण थे

काले थे श्री राम

दोनों की स्तुति से

सुखी रहे इंसान।।

 

© श्री अखिलेश श्रीवास्तव

जबलपुर, मध्यप्रदेश 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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