श्री विष्णु प्रकाश श्रीवास्तव

(स्वपरिचय – बचपन से कविता, कहानियों में रुचि। मुंशी प्रेमचंद जी की लगभग सभी उपन्यास एवं कहानियाँ युवावस्था में ही पढ़ी। किसी विषय पर तुरंत कविता बनाने (तुकबंदी) की आदत।)

☆ कविता ☆ बलवान – बलहीन ☆ श्री विष्णु प्रकाश श्रीवास्तव ☆

शेरों का बलिदान न होते सुना। 

बकरे बलिवेदी पे चढ़ाये गए ।। 

 

साँपों को दूध पिलाया गया ।

केंचुए कटिए में फंसाए गए।।  

 

टेढ़े पेड़ कभी भी न काटे गए। 

सदा सीधे पे आरे चलाये गए।।

 

बलवान का बाल न बाँका हुआ। 

बलहीन धरा पर सताये गए ।।

 

© श्री विष्णु प्रकाश श्रीवास्तव 

पुणे 

मो +91 94151 90491

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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