सुश्री प्रभा सोनवणे

? कविता ?

बरसात☆ सुश्री प्रभा सोनवणे ☆

खिडकी के बाहर लगातार,

बारिश हो रही है,

रूकने का नाम ही नहीं लेती!

*

बचपन से मुझे बारिश

बहुत पसंद है ,

घर के सामने एक,

बडा सा पेड था पीपल का ,

बरसात के दिनों में वो पेड़

मुझे बहुत अच्छा लगता था…..

मानो  नहा रहा हो ,

*

ओहरे का पानी झरझर बहकर,

न जाने कहाँ पहुँचता था,

पनघट पे पानी लेने,

आती थी औरतें… भीगती भागती!

बहुत सुंदर लगती थी !

*

बारिश तो हर साल

आती है ….बार बार !

लेकिन वो बचपन वाली,

बरसात,

पीपल का पेड़,

पनघट की चहल पहल,

अब वहाँ नहीं रही…

*

बदले है गाँव और शहर भी,

बरसात तो वही है ,

कल वाली परसो वाली… 

पीपल के पेड़ वाली !

*

इतने सालों के बाद ….

मुझे वो गाँव वाली

बरसात ही याद आती है,

इस बारिश का, उस बरसात से,

बहुत दूर का रिश्ता,

बताती  है !

☆  

© प्रभा सोनवणे

१६ जून २०२४

संपर्क – “सोनवणे हाऊस”, ३४८ सोमवार पेठ, पंधरा ऑगस्ट चौक, विश्वेश्वर बँकेसमोर, पुणे 411011

मोबाईल-९२७०७२९५०३,  email- [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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