डॉ जसप्रीत कौर फ़लक

☆ बैसाखी पर्व विशेष – फिर सबकी बैसाखी है… ☆  डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक 

महक उठा है गुलशन-गुलशन

महुआ टपके महके चंदन

यह उन की बैसाखी है…

*

लतायें महकी मृदुल- मृदुल

हुईं हवाएं चंचल – चंचल

यह उन की बैसाखी है…

*

प्रकृति का हर काम है जारी

रात दिन आयें बारी – बारी

यह उन की बैसाखी है…

*

धुंध छटी सब गहरी गहरी

गेहूँ की बाली हुई सुनहरी

यह उन की बैसाखी है….

*

जो क़ुदरत की मौज में रहते

दुख – सुख दोनों हँसकर सहते

यह उन की बैसाखी है…

*

याद करो गुरुओं की वाणी

सुखी बसे हर एक प्राणी

फिर सब की बैसाखी है…

*

खेतों से दाने घर आएं

खुशी से दामन सब भर जाएं

फिर सब की बैसाखी है…

*

नफ़रत के बुझ जाएं चिराग़

प्यार से महके हर इक बाग़

फिर सब की बैसाखी है…

 डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक

संपर्क – मकान न.-11 सैक्टर 1-A गुरू ग्यान विहार, डुगरी, लुधियाना, पंजाब – 141003 फोन नं – 9646863733 ई मेल – [email protected]

≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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आशीष मोहन

वाह उम्दा रचना