हिन्दी साहित्य – कविता ☆ बदल रहा है ” सारे ज़हाँ से अच्छा ” ☆– श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”

श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”

 

☆ बदल रहा है ” सारे ज़हाँ से अच्छा “☆

मिलकर चलो…मिलकर चलो…

बदल रहा है ” सारे ज़हाँ से अच्छा “…

वक्त कि मांग है मिलकर चलों…

“हरा” तो हर किसी का है…

केसरिया तो सारे जग का है…

” नीला” गगन तो सबका है…

” सफेद ” शांति जग की चाहत है…

मिलकर चलो…मिलकर चलो…

बदल रहा है ” सारे ज़हाँ से अच्छा “…

 

जो गुमराह हैं उनको समझने दें…

भयभीत को शांत होने दें…

ये वक्त है कलम से तकदीर लिखने का…

नये वक्त की तस्वीरों में नये रंग भरने का…

वक्त है वतन कि नई ईबारत लिखने का…

मिलकर चलो…..मिलकर चलो…

बदल रहा है ” सारे ज़हाँ से अच्छा ”

 

सोचो लड़कर आपस में क्या मिलेगा…

ये संसार हँसेगा भी और हम पर राज भी करेगा…

न भीड़ को ताकत का नाम दे…

हो रहा है कुछ नया, इसका अनुभव होने दें…

बढ़ते कदम जब आशंकित होगें….

भीड़ से हम फिर रूख बदल देंगे…

मिलकर चलो…..मिलकर चलो…

बदल रहा है ” सारे ज़हाँ से अच्छा ”

 

© माधव राव माण्डोले “दिनेश”, भोपाल 

(श्री माधव राव माण्डोले “दिनेश”, दि न्यू इंडिया एश्योरंस कंपनी, भोपाल में उप-प्रबन्धक हैं।)