श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”

( आज  प्रस्तुत है श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” जी द्वारा मई दिवस के अवसर पर  रचित  एक कविता   “हे श्रमिक तुम्हारा वंदन ‌है”।   

 

? मई दिवस विशेष  – हे श्रमिक तुम्हारा वंदन ‌है ?

किसी राष्ट्र के विकास का घूमता पहिया, उस राष्ट्रके विकास की स्थिति का आकलन, उस राष्ट्रीय की श्रमशक्ति श्रमिक वर्ग की‌ स्थिति पर निर्भर करता है। राष्ट्रीय ‌विकास में जितना योगदान कुशल प्रबंधन का है, उससे ज्यादा संगठित कुशल श्रमिक शक्ति का‌ भी‌ है।जब कुशल प्रबंधन और श्रमशक्ति मिल कर समूह‌ भावना से कार्य करते हैं तो उस संगठन, उस संस्थान, उस राष्ट्र के विकास को कोई रोक नहीं सकता। किसी भी ‌राष्ट्र के विकास का मानक कुशल एवम् सुखी श्रमिक वर्ग ‌के आधार पर‌ तय‌ होता है।

 

हे श्रमिक तुम्हारा वंदन ‌है, वंदन है, अभिनंदन ‌है।

तुम श्रमशक्ति ‌हो दुनिया की, माथे पे‌ रोली चंदन है ।

      ।   । हे श्रमिक तुम्हारा।।1।।

 

तुम ही अपने श्रमशक्ति ‌से, बागों में फूल ‌खिलाते ‌हो।

सड़कें पुल बांध बना देश को विकास पथ पर लाते ‌हो।

अपने हुनर के‌‌ बल पर‌ सबके, तन पर वस्त्र ‌सजाते हो।

तुम ही अपनी मेहनत से, इन खेतो‌ में अन्न उगाते हो।

तुम भाग्य विधाता जग के, सबकी‌ किस्मत‌ चमकाते हो।।

।।   हे श्रमिक तुम्हारा वंदन ‌है।।2।।

 

तुम राष्ट्र पुरूष हो दुनिया में, तुमसे विकास का नारा है।

तुमसे ही दुनिया सुखी हुई, सब पे‌ अहसान तुम्हारा है।

अरमान तुम्हारे ‌दिल में है, आंखों में सपना प्यारा है।

पहचान ‌तुम्हारी ताकत है श्रम से अस्तित्व तुम्हारा है।

।। हे श्रमिक तुम्हारा वंदन है।।3।।

 

तेरी त्याग‌ तपस्या से, आलोकित यह जग सारा है।

अपनी हस्ती मिटाकर के, लाखों को दिया सहारा है।

सारी दुनिया का गम‌ पीकर, मुस्कान‌ तुम्हारे चेहरे ‌पर।

इस जहां ‌की रक्षा खातिर ही, जीवन बलिदान ‌तुम्हारा है।

।।हे श्रमिक तुम्हारा वंदन है।।4।।

 

© सुबेदार पांडेय “आत्मानंद”

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208

मोबा—6387407266

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