श्री जयेश वर्मा
(ई-अभिव्यक्ति में सुविख्यात साहित्यकार श्री जयेश कुमार वर्मा जी का हार्दिक स्वागत है। आप बैंक ऑफ़ बरोडा (देना बैंक) से वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। हम अपने पाठकों से आपकी सर्वोत्कृष्ट रचनाएँ समय समय पर साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता मेरे..मन..की. ।)
☆ कविता ☆ मेरे..मन..की ☆
मैं हवा हो जाऊं
सबकी सांसो में समा जाऊं।।
मैं ना रहूँ तब भी,
एक खुशबू सा बिखर जाऊं।।
मैं एक चिड़िया हो जाऊं
सबके आँगन में फुदक जाऊं
हर मौसम में गाना गाऊँ
तिनके तिनके जोड़कर बनाउ घोसले
सबके साथ फिर थोड़ा सा रह जाऊँ।।
मैं एक बादल हो जाऊं
आसमा में भटकता भटकता
किसी अपने पर,
जम कर बरस जाऊं।।
मै जब पीला पत्ता हो जाऊं।
अपनी टहनी से बिछड़ जाऊं।
ऐ हवाओ आंधिया बन आना
मुझे उड़ा ले जाना,
अंनत की ओर….
© जयेश वर्मा
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