प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

( ई-अभिव्यक्ति  का सदैव प्रयास रहा है कि वह अपने प्रबुद्ध पाठकों को  हिंदी, मराठी एवं अंग्रेजी साहित्य की उत्कृष्ट रचनाएँ साझा करते रहे। इस सन्दर्भ में हमने कुछ प्रयोग भी किये जो काफी सफल रहे।  ई-अभिव्यक्ति  में सुप्रसिद्ध ग्रन्थ श्रीमद भगवत गीता के एक श्लोक का  प्रतिदिन प्रकाशन किया गया एवं कल के अंक में उसका समापन हुआ। इस प्रयास का हमें पाठकों का अभूतपूर्व स्नेह एवं प्रतिसाद मिला। इस कड़ी में आज से प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा महाकवि कालिदास जी के महाकाव्य मेघदूतम का श्लोकशः  हिन्दी पद्यानुवाद। )

(महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा  प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव)

☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # 1 – मनोगत ☆ प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’☆

भारतीय संस्कृति में आत्म प्रशंसा को शालीनता के विपरीत आचरण माना गया है , यही कारण है कि जहाँ विदेशी लेखकों केआत्म परिचय सहज सुलभ हैं ,वहीं कवि कुल शिरोमणी महाकवि कालिदास जैसे भारतीय मनीषीयों के ग्रँथ तो सुलभ हैं किन्तु इनकी जीवनी दुर्लभ हैं !

महाकवि कालिदास की विश्व प्रसिद्ध कृतियों मेघदूतम्, रघुवंशम्, कुमारसंभवम्, अभिग्यानशाकुन्तलम् आदि ग्रंथों में संस्कृत न जानने वाले पाठको की भी गहन रुचि है ! ऐसे पाठक अनुवाद पढ़कर ही इन महान ग्रंथों को समझने का प्रयत्न करते हैं ! किन्तु अनुवाद की सीमायें होती हैं ! अनुवाद में काव्य का शिल्प सौन्दर्य नष्ट हो जाता है ! ई बुक्स के इस समय में भी प्रकाशित पुस्तकों  को पढ़ने का आनंद अलग ही है !

मण्डला के प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी ने  महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम् के समस्त १२१ मूल संस्कृत श्लोकों  का एवं रघुवंश के सभी १९ सर्गों के लगभग १९०० मूल संस्कृत श्लोकों का श्लोकशः हिन्दी गेय  छंद बद्ध भाव पद्यानुवाद कर हिन्दी के पाठको के लिये अद्वितीय कार्य किया है !

?आप कल से प्रतिदिन एक श्लोक का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद आत्मसात कर सकेंगे।?

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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