डॉ निशा अग्रवाल

☆  कविता – माँ ☆ डॉ निशा अग्रवाल ☆  

अगर शब्द दुनियां में “माँ ” का ना होता।

सफर जिंदगी का शुरू कैसे होता।।

एक  माँ ही तो है जिसमें, कायनात समायी है।

कोख से जिसकी शुरू होता जीवन,

होती उसी की गोद में अंतिम विदाई है।।

शुरू होती दुनियां माँ के ही दर्द से।

माँ ने ही हमारी हमसे पहचान कराई है।।

अंगुली पकड़कर सिखाया है चलना।

माँ की परछाई में दुनियां समायी है।।

ना भूख से कड़के माँ, ना प्यास से तरसे।

संतान के लिए ही वो हर पल तडफे।।

ममता के आंचल में दर्द भर लेती।

दुनियां से सामना करना सिखाई है।।

प्यार में सच्चाई की होती है मूरत।

दुनियां में माँ से बड़ी नही कोई मूरत।।

माँ की दुआओं का ही है असर हम पर।

 जो मुसीबतों को भी सह लेते हम हँस कर।

माँ की नज़र से ही दुनियां है देखी।

माँ की दुआओं ने दुनियां है बदली।।

लबों पै जिसके कभी बद्दुआ ना होती।

बस एक माँ है जो कभी खफ़ा ना होती।।

मां की गोदी में जन्नत हमारी।

सारे जहां में माँ लगती है प्यारी।।

ईश्वर से भी बड़ा दर्ज़ा होता है माँ का।

जिसने जगत में हमको पहचान दिलाई।।

हर रिश्ते में मिलावट देखी है हमने।

कच्चे रंगों की सजावट देखी है हमने।।

लेकिन माँ के चेहरे की थकावट ना देखी।

 ममता में उसकी कभी मिलावट ना देखी।।

कभी भूलकर ना ” माँ “का अपमान   करना।

हमेशा अपनी माँ का सम्मान ही करना।।

हो जाये अगर लाचार कभी अपनी माँ तो।

 कभी रूह से उसको जुदा तुम ना करना।।

एक माँ ही होती है,

जो बच्चे के गुनाहों को धो देती है।।

होती गर  गुस्से में माँ जब हमारी।

तो बस भावुकता से वो रो देती है।।

ऐ बन्दे दुआ मांग ले अपने रब से।

कि फिर से वही गोद मिल जाये।।

फिर से उसी माँ के कदमों में मुझको।

अपना सारा जहाँ मिल जाये।।

 

©  डॉ निशा अग्रवाल

जयपुर, राजस्थान

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Dr Nisha Agarwal

ह्रदय के अन्तःस्थल से धन्यवाद एवं अनंत आभार !!

Ajoy Calla

Kya baat hai bahut khoobsurat rachna Maa sansar mein parmatma ka hi pratibimb hota hai Maa to bas Maa hi Hoti hai

SANDEEP

Nice Writing

देवेन्द्र कुमावत

वाह क्या खूब लिखा है आदरणीया निशा जी

Diwanshi Agrawal

Heart touching❤️!! Momiee